More Se×y shayari click here
वक़्त से परे कही पड़ी है, हमारी इक मुलाक़ात बाकी।
खत में करें सब कैसे बयां, मिली तो बताएं हालात बाकी।।
अगर मगर में नज़र भी रह गई प्यासी।
लबी ने हरकत की तो, झुक गई पलकें दासी।।
कहकशांओं की गर्दिश और सितारों की जुम्बिश से आगे।
अंतराल में सम्पूर्णता लिए है, उसकी आंखो का झपकना ।।
तारे टूटते हैं ख्वाहिशें पूरी करने
या ख़्वाहिशों का बोझ तोड़ देता है उन्हे??
अपने हिस्से की धूप छांव तुम्हारे कदमी में रख दी।
इसे जियादा, और क्या वक़्त बिताता तुम्हारे संग ।।
गुमसुम झीलें खिलखिलाकर हस पड़ती है।
उसके कोमल पैरो की इक थापी पाकर ।।
जवाब न सही आँखो से कोई इशारा तो कर,
गर साथ मुनासिब नहीं, तो मेरा कोई और सहारा तो कर।।
मरने को मैं मर भी सकता था।
जिया ताकि तेरी कसमें सांस ले सकें।
उसकी तस्वीर दो घड़ी देख लूँ तो।
लगता है, अभी वो ज़हन पढ़ लेगा मेरा।।
ये आंखो में तुम्हारे पानी कैसा है।
वजह फिर कोई फांस हो गई है क्या।।
उस आफताब-ए-निगाह में हिद्दत कितनी हैं
मुझ माहताब अधूरे पे भी ज़ी पूरी रखता है।।
तुम जब चाहो, अंधेरा कर दो, जब चाहे कर दो सवेरे,
मेरे हिस्से के सूरज चंदा सितारे सब तुम्हारे है।।
पीपल पे बंधा मन्नत का धागा,
झील में फेंकी चाबी।
मैं नहीं ला सकता वापस,
तुम्हे आना ही होगा ।
रंग बदलते हैं चेहरे, रूह सदा ही बेरंग रहती है।
रंग जा तेरे रंग, तेरे बिन होली बेढ़ग रहती है।।
उछला रंग और उजली रंगत।
लम्स गालों पे और पूरी मन्नत।।
हाथ फैलाकर तुझे जब रब से मांगा
हुआ कोलाहल ऐसा, जैसे तुझे सब से मांगा।।
मौन है जुबां मन शोर करता है।
जिधर नाम तेरा, उस ओर चलता है।।
बिस्तर रहता है, ज्यो का त्यो ही।
सपने देखने वाला, हर भोर सम्हलता है।।
वो जब भी देखता है मुझमें मीन-मेख देखता है।
फ़क़त इश्क़ है, कैसे वो मुझमें ऐब अनेक देखता है।।
एक ही बात के कितने मतलब निकलते है।
दिलासा देकर लोग दखाजे से हसकर निकलते है।।
एक अरसे की उदासी का ये सबब है।
मेरी आंख के आंस, मुझसे बचकर निकलते है।।
मेरे यारों की गिनती कभी बढ़ी ही नहीं।
यूं तो अजनबी कई मुझसे गले लगकर निकलते है।।
किस पे भरोसा करें, किसे बनाए अपना राज़दार।
हथेली पे जो जां जैसे, वहीं अकब निकलते है।।
साकी जाम से जियादा नशा उनकी आंखो में।
जी नज़र भर रहे, बन के अकबर निकलते है।।
यार-ए-अभी कितने ही अथक प्रयास कर लूं मैं।
जब बारी वफ़ा कि हो, परिणाम कमतर निकलते हैं।।
Thisun
तुम अपने में ही साज़-ए-ख़ाना ।
तुम्हारी हर अदा में मौसीक़ी है ।।.
मैं कहां कह रहा हूँ,
शब्दो को तोड़-मरोड़कर
कुछ लिखी मेरे लिए,
कुछ कहो मुझ से,
तुम बस खुल के हंसा करी
मेरे साथ, मेरे लिए ग़ज़ल होगी।।
आबगीने नहीं दिखाते है हर चेहरा
तभी मन को दर्पण होता है ।
इश्क़ का पीछा भी न होगा तुमसे
तुम बहुत तेज जो ठहरे ॥
इश्क़ की समझ, शायद तुम्हे जियादा है।
तुम तलहटी देख आये, मैं अब भी डूब रहा हूँ।।
आपको आप में देखने से अच्छा है, खुद में देखना।
अगर धोखा मिलता भी है तो, खुद से मिलता है ।।
वी फासले नहीं फैसले थे
जी दूरी की वजह बने ।
यादो से कीमती हैं
वो शख्स जो भुलाया नहीं जाता।
।कुछ देर को जो तू बिना पलक झपकायें,
मेरी नज़रों से अपनी नज़रे मिलाये ती,
मैं अपने ख्वाबों की जागीर तेरे नाम कर+।।
जिंदगी को दिया गया सबसे
हसीन तोहफा है ख्वाब।।
एक उम्र हुई मेरी आँखो को
तेरी तलाश नहीं।
एक उम्र हुई मेरी नींदी को
तेरे ख्वाब नहीं।।
कृत्रिम पौधे को पानी देते देते सुख गई है आंखे।
जब तक 'जानी' लिखता रहेगा इस अंदाज़ में
'अभी बारहा मरता रहेगा तेरी याद में।।
तेरी आंखो में देख
रह सजा ली मैंने...
तुझे आंखो से छूने पर
होंठ जलते है मेरे ॥
मौन है जुबां मन शोर करता है।
जिधर नाम तेरा, उस ओर चलता है।।
बिस्तर रहता है, ज्यो का त्यो ही।
सपने देखने वाला, हर भोर सम्हलता है।।
वो जब भी देखता है मुझमें मीन-मेख देखता है।
फ़क़त इश्क़ है, कैसे वो मुझमें ऐब अनेक देखता है।।
एक ही बात के कितने मतलब निकलते है।
दिलासा देकर लोग दखाजे से हसकर निकलते है।।
एक अरसे की उदासी का ये सबब है।
मेरी आंख के आंस, मुझसे बचकर निकलते है।।
मेरे यारों की गिनती कभी बढ़ी ही नहीं।
यूं तो अजनबी कई मुझसे गले लगकर निकलते है।।
किस पे भरोसा करें, किसे बनाए अपना राज़दार।
हथेली पे जो जां जैसे, वहीं अकब निकलते है।।
साकी जाम से जियादा नशा उनकी आंखो में।
जी नज़र भर रहे, बन के अकबर निकलते है।।
यार-ए-अभी कितने ही अथक प्रयास कर लूं मैं।
जब बारी वफ़ा कि हो, परिणाम कमतर निकलते हैं।।
Thisun
तुम अपने में ही साज़-ए-ख़ाना ।
तुम्हारी हर अदा में मौसीक़ी है ।।.
मैं कहां कह रहा हूँ,
शब्दो को तोड़-मरोड़कर
कुछ लिखी मेरे लिए,
कुछ कहो मुझ से,
तुम बस खुल के हंसा करी
मेरे साथ, मेरे लिए ग़ज़ल होगी।।
आबगीने नहीं दिखाते है हर चेहरा
तभी मन को दर्पण होता है ।
इश्क़ का पीछा भी न होगा तुमसे
तुम बहुत तेज जो ठहरे ॥
इश्क़ की समझ, शायद तुम्हे जियादा है।
तुम तलहटी देख आये, मैं अब भी डूब रहा हूँ।।
आपको आप में देखने से अच्छा है, खुद में देखना।
अगर धोखा मिलता भी है तो, खुद से मिलता है ।।
इश्क़ का सफ़र बहुत लम्बा है साहेब।
महबूब से मिलने की प्यास मरने नहीं देती।।
बाहर से देखो तो बेफिक्र बेबाक हूँ मैं।
ज़रा अंदर झांको मेरे जलकर राख हूँ मैं।
Trust
me
खुद से बहुत दूर और तेरी यादों के बहुत पास हूँ मैं।
शायद इसलिए हर पल सुकून की तलाश में हूँ मैं।।
राज सारे छुपा के रखे थे मैंने पलकों की ओट में,
मगर चमकते आँसूओं ने सब कुछ नुमाया कर दिया।।
अंदर ही अंदर वो मर गया सी सी मीते ।
अपनी ज़िंदादिली से अपने ही लोगों को जलता देख।।
जिंदगी से बहुत कुछ सीखने सीखा ने से पहले,
जो हमने सिखा था तुम से, वो प्यार था।।
ये आधा चाँद जानता है पूरी
हकीकत तेरी भी और मेरी
मिट्टी के इंसान को मीम कर देता है इश्क़ ।
सूखे से जियादा फिर नमी तकलीफ देती है।।
तुम्हे देखना और बस देखते ही रहना।
इसे जियादा और क्या दुनिया देखेंगे हम।।
जवाब न सही आँखो से कोई इशारा तो कर,
गर साथ मुनासिब नहीं, तो मेरा कोई और सहारा तो कर।।
सृष्टि में अनन्त सितारे हैं,
मगर प्यारे मुझे वो दो ही है,
जिनमें दिखे मुझे मेरा प्रतिबिम्ब।।
मेरे शब्दों में जान और
जान शब्द में जिदंगी
दोनों तुम्ही से है ।।
ALA
खुद ही बो देता हूँ।
अब ये चुभन ही एहसास है जिंदा होने का।।
बबूल जिंदगी में
जब तक उसकी उँगली ना घोले शक्कर
चाय भी फिक्की है और जिंदगी भी।।
जब तक तुम कोशिशें करोगे मुझे ख्वाब में पाने की।
तब तक मैं शब्दों में तुम्हे अपने पाकर खो चूका होऊँगा।।
कोई तो मिट्टी का दाना बन रड़कता है आँख में।
ये आँसूओं के रेले, ये तन्हाइयों के मेले यूँही नहीं है।।क्या होता है इश्क
रंगीन ख्वाब कोई
जो नींदे सतरंगी कर जाता है।
क्या होता है इश्क
बेरंग ख्याली झरना कोई
जो रूह को भिगाये चला जाता है।
क्या होता है इश्क
सुना गलियारा कोई
जो दोपहर की धूप में
खिला खिला नजर आता है।।
क्या होता है इश्क़??
तू ख्वाब ही ठीक था। जब से हकीकत हुआ है,
नश्तर की तरह चुभता है मेरी आँखो में।।
कटई जहर
ReplyDelete